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राज्य में 617 एग्रो प्रोजेक्ट्स पर 1255 करोड़ का निवेश,119 करोड़ की सब्सिडी मंजूर

जयपुर, 21 जुलाई। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 के तहत प्रदेश में कोविड की विपरीत परिस्थितियों के बीच 617 एग्रो प्रोजेक्ट स्थापित हो रहे हैं, जिन पर 1255 करोड़ रूपए का निवेश होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने अब तक 338 प्रोजेक्ट पर 119 करोड़ रूपए की सब्सिडी मंजूर की है। कृृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भास्कर ए सावंत ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वर्तमान राज्य सरकार की पहली वर्षगांठ के मौके पर दिसम्बर, 2019 में यह नीति लॉन्च की थी। पूंजीगत, ब्याज, विद्युत प्रभार एवं भाड़ा अनुदान प्रोत्साहन तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कृषि भूमि के रूपान्तरण जैसी सहूलियतों की वजह से किसान एवं उद्यमी इसमें खासी रूचि दिखा रहे हैं। वेयर हाउस एवं केटल फीड उद्यमों के साथ तिलहन, दलहन, मसाले, मूंगफली, कपास, दूध एवं अनाज प्रोसेसिंग की इकाइयां स्थापित की गई हैं। राज्य में 88 किसानों को 39 करोड़ 60 लाख रूपए की सब्सिडी स्वीकृत की गई है, जिन्होंने 89 करोड़ रूपए का निवेश किया है। गैर-कृृषक उद्यमियों ने 496 करोड़ रूपए निवेश कर 250 इकाइयां स्थापित की हैं, जिन पर राज्य सरकार की ओर से 79 करोड़ 69 लाख रूपए सब्सिडी दी गई है। शेष अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए बैंकों से लोन स्वीकृत होकर कार्य चालू हो गया है, जिन्हें शीघ्र ही सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। श्री सावंत ने बताया कि राज्य में वेयर हाउस स्थापना में सबसे ज्यादा रूचि दिखाई जा रही है। 226 वेयरहाउस स्थापित हो रहे हैं। एग्रो प्रोसेसिंग क्षेत्र में सबसे अधिक अनाज प्रोसेसिंग की 82 एवं तिलहन प्रोसेसिंग की 76 इकाइयां लगाई गई है। इसके अलावा दलहन की 46, मसाले की 43, मूंगफली की 36, कपास की 33, केटल फीड की 16, दूध प्रोसेसिंग की 15, शॉर्टिंग-ग्रेडिंग की 13 एवं 31 अन्य इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि इस नीति के तहत एग्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए किसान एवं उनके संगठनों को परियोजना लागत का 50 फीसदी (अधिकतम एक करोड़ रूपए) तथा अन्य पात्र उद्यमियों को 25 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रूपए) अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही संचालन लागत कम करने के लिए सावधि ऋण लेने पर किसानों एवं उनके समूहों को 6 फीसदी की दर से 5 साल तक ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। किसानों के लिए ब्याज अनुदान की अधिकतम सीमा एक करोड़ रूपए तय की गई है। सामान्य उद्यमियों को 5 फीसदी की दर से 5 साल तक ब्याज अनुदान दिया जा रहा है, जबकि आदिवासी क्षेत्रों एवं पिछड़े जिलों में इकाइयां लगाने वालों तथा अनुसूचित जाति-जनजाति, महिला एवं 35 साल से कम उम्र के उद्यमियों को एक प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान मिल रहा है। यह प्रसंस्करण उद्योगों के लिए अधिकतम 50 लाख रूपए एवं आधारभूत संरचना इकाइयों के लिए एक करोड़ रूपए तक दिया जा रहा है।